तुम्हारा ख्याल चला आया था एक दिन
तब से वो गया ही नहीं
मन में बस गया है |
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तुम्हारा आभास चला आता है तुम से पहले
नज़रें तुम्हें लगती हैं ढूंढने
तुम्हारे नज़र आने से पहले |
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छन्न से बोलती हैं धड़कनें
जब दिखते हो तुम
और तुम्हारा चेहरा नज़रों के सामने आता है |
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ये किस तरह की खुमारी हो तुम
बरसो बरस बीत गए
उतरती ही नहीं |
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~ अंजना अशोक