Anjana Ashok : Afsane : anjanaashok.com

क्या तुम वही हो

तुम तो चाँद थीं

बिखेरती थीं चांदनी |

तुम थीं चन्दन

बिखेरती थीं खुशबू |

तुम थीं पवन

मदमस्त घूमती थीं |

तुम थीं मृगनयनी

शोभनीय थे तुम्हारे नैना |

जब भी नज़र आती थीं

मन गुनगुना उठता था |

*

ये क्या हो गया ?

चाँद कहाँ खो गया ?

न अब पवन में वैसा शोर है

न ही खुशबू में अब ज़ोर है |

वो मृगनयनी सी आँखें

अब पहचान नहीं आ रहीं |

*

क्या तुम वही हो ?

या वही हो के भी कुछ और हो ?

कौन हो तुम ?

*

~ अंजना अशोक